kalam bhavukta ki
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भूल वो नींदें आँखों की,
ख़्वाबों को शब्द दिए हैं,
धूल जमी यादों पर मैंने,
आँसू झर-झर झाड़ दिए हैं।
फूलों पर मैं भौंरा सा,
मेहनत के रस ही पिए हैं,
तनहा उन फूलों पर मैंने,
आँसू झर-झर झाड़ दिए हैं।
भीगे शब्द हैं, भीगे फूल हैं,
बारिशों ने यूँ बहार दिए हैं,
नम आँखों से मुस्काकर मैंने,
आँसू झर-झर झाड़ दिए हैं।
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